
News From World Research :वैज्ञानिकों ने तुर्की के माउंट अरारत के दक्षिण में 30 किलोमीटर दूर समुद्र के अंदर एक नाव के आकार का टीला पाया है। वास्तव में, यह टीला एक लकड़ी की नाव का जीवाश्म अवशेष है। वैज्ञानिकों ने इसे बाइबल से संबंधित मानते हैं।
आज भी लोगों को समुंदर की गहराई में छिपे हुए इतने रहस्यों का पता नहीं है। लेकिन फिर भी कुछ अलग पता चलता है तो बहुत हैरान होता है। तुर्की हाल ही में ऐसे ही एक रहस्य का पता लगाया गया है। दरअसल, समुद्र की गहराइयों में पांच हजार साल पुरानी एक “नाव” मिली है। ये असल में एक टीला है, जो पूरी तरह से एक 5000 वर्ष पुरानी नाव की तरह दिखता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इसके तार एक 5 हजार साल पुरानी घटना से जुड़े हैं, जिसे बाइबल, ईसाइयों का धर्म ग्रंथ, में भी बताया गया है।
डेली मेल वेबसाइट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने तुर्की के माउंट अरारत के दक्षिण में 30 किलोमीटर दूर समुद्र में एक नाव के आकार का टीला पाया है। वास्तव में, यह टीला एक लकड़ी की नाव का जीवाश्म अवशेष है। वैज्ञानिकों ने इसे बाइबल से संबंधित मानते हैं। दरअसल, ईसाई, इस्लाम और यहूदी धर्मों में नूह को ईश्वर का संदेशवाहक माना जाता है। उनके पास जलप्रलय के समय एक नाव थी, जिसे “आर्क” कहते हैं। उन्होंने इस नाव में कई जीवों को डूबने से बचाया।
वैज्ञानिकों का मानना है कि ये नाव के आकार का टीला नूह की एक नाव का अवशेष है। यह स्थान डुरूपिनर फॉर्मेशन है। 5 हजार साल पहले हुए एक जलप्रलय में ये टीला डूब गया था। 2021 से शोधकर्ता इसे खोज रहे हैं। उन्हें लगता है कि नाव नूह की कहानी से संबंधित है।
आपको बता दें कि इस टीले का नाम डुरुपिनार फॉर्मेशन है। यह 538 फीट लंबा है और लिमोनाइट नामक आयरन ओर से बना है। रिसर्च के अनुसार, पानी से घिरे हुए स्थानों में जीव रहा करते थे। इस इलाके से मिट्टी को इस्तानबुल टेक्निकल यूनिवर्सिटी में शोध के लिए भेजा गया। परीक्षण ने बताया कि मिट्टी में क्ले जैसे पदार्थों के अलावा मरीन डिपॉजिट और मरीन लाइफ के हिस्से भी मौजूद हैं। इन सैंपल से पता चलता है कि यह 3500 से 5000 साल पुराना है। शोधकर्ता फारुक काया ने बताया कि इस इलाके में प्राचीन काल में भी लोग रहते थे।