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Ukraine war updates : यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने रूस से युद्धविराम समझौते के तहत अपने देश की सुरक्षा की गारंटी मांगी है। जेलेंस्की का कहना है कि यूक्रेन में एक सौनिक शांति सेना तैनात की जानी चाहिए। चीनी डिफेंस एक्सपर्ट और पूर्व कर्नल झोउ बो ने कहा कि उनके देश के सैनिक रूस-यूक्रेन में किसी भी युद्धविराम समझौते को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। उन्होंने इसमें भारत का महत्वपूर्ण योगदान भी बताया है। उनका कहना था कि यदि चीनी सैनिक यूक्रेन में भारत जैसे गैर-नाटो देशों के साथ मिलकर काम करते हैं तो यह प्रभावी हो सकता है।
त्सिंगुआ विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर इंटरनेशनल सिक्योरिटी एंड स्ट्रेटेजी के सीनियर फेलो झोउ बो ने कहा कि चीन के पास युद्ध के बाद के शांति प्रयासों में भाग लेने के लिए पर्याप्त सैन्य शक्ति है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन ने 1990 के दशक में परमाणु हथियार छोड़ दिए थे, तब बीजिंग ने मदद की थी। जोउ ने कहा कि यूक्रेन को सामूहिक सुरक्षा गारंटी के बिना मुश्किल होगा। रूस से एक बार फिर हमले का उसे भय सताएगा।
चीनी सैन्य विशेषज्ञ झोउ बो ने DW से कहा कि यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने में चीन की तीन भूमिकाएं हो सकती हैं।पहला—यूक्रेन को सामूहिक सुरक्षा प्रदान करने में भारत और अन्य महत्वपूर्ण देशों के साथ सहयोग करना। दूसरा झोउ का मानना है कि यूरोपीय सैनिकों के साथ यूक्रेन में विकल्प असली नहीं है क्योंकि रूस इसे नाटो की उपस्थिति की तरह देखेगा, जो नई चुनौती पैदा करेगा। तीसरा झोउ मानता है कि चीन युद्ध के बाद पुनर्निर्माण में भी शामिल हो सकता है।
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने हाल ही में रूसी बॉर्डर पर एक लाख सैनिकों की एक शांति सेना बनाने का प्रस्ताव रखा है। अमेरिका ने यूक्रेन को नाटो में शामिल करने की कोशिश करने के बाद उनका यह प्रस्ताव आया है। यही कारण है कि जेलेंस्की वैकल्पिक सुरक्षा की तलाश कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि 120 से अधिक देशों की सेनाएं यूएन शांति सेना में शामिल हो गई हैं। नेपाल, बांग्लादेश, भारत और पाकिस्तान इनमें से कुछ हैं। ऐसे में चीन और भारत जैसे देशों की दुनिया की दृष्टि स्पष्ट है।